Monday, October 8, 2007

भोमियो, रोमनीकरण और आपका ब्लाग

कल रवि जी ने अपने ब्लाग पर भोमियो के अन्य भाषाओं में परिवर्तन करने के बारे में लिखा है, क्या आपने पढ़ा है, नहीं तो जरूर पढिये यहां है.

भविष्य में आपके पास पाठक कहां से आयेंगे, सिर्फ सर्च इन्जिन्स से. अभी भी ढेर सारे ब्लाग अपना अधिकांश ट्रेफिक सर्च इन्जिन्स से ही प्राप्त करते हैं. ट्रांसलिट्रेशन के टूल को आपकी वेबसाईट से ही आनलाइन ट्रांसलिट्रेट करके दिखाना चाहिये, जैसे भोमियो.

यदि आपके पोस्ट को आपके ब्लाग से आनलाइन ट्रांसलिट्रेट करने के बजाय किसी और वेबसाईट पर संग्रहित करके दिखाया जाता है तो आपकी वेबसाईट सर्च इन्जिन्स में कहीं दिखेगी भी?

आपके ब्लाग पर तो सौ, दो सौ, ज्यादा से ज्यादा हजार पोस्ट होंगी पर जब पूरा हिन्दी ब्लाग एक जगह एकत्रित करके दिखाया जायेगा तो सर्च इन्जिन्स की खोजों में आपका ब्लाग कहां दिखायी देगा?


जी हां, आपके ब्लाग को फीड रीडर के द्वारा पूरा का पूरा पढ़ा जाता है. पर वह फीड रीडर सर्च इन्जिन्स की खोजों में अपने परिणाम नहीं भेजता.

सर्च इन्जिन्स भी अपने यहा cache में आपकी सामग्री रखते है, पर वे दूसरे सर्च इन्जिन्स के आगे अपनी एक बेवसाईट का रूप रखकर अपने खोज परिणाम नहीं दिखाते.
गूगल के यहां याहू नहीं दिखता, याहू की खोज में गूगल गायब हो जाता है. टेक्नोराती में सर्च इन्जिन्स एक ब्लाग का चोला ओढ़कर नही धंसते.

श्री रवि जी ने इससे पहले एक पोस्ट में भोमियो की रोमन ट्रांसलिट्रेशन को पढ़ने में असुविधाजनक बताया था. हां ये बात एकदम सही है.
तो भोमियो, जागो,
अपने ट्रांसलिट्रेशन को बेहतर करो, तुरन्त करो.
तुम नहीं करोगे तो इस काम को कोई और करेगा.

चलते चलते
वेबदुनिया हिन्दी में हिन्दी की सर्च से आवक बढ़ गयी है. ये पिछले हफ्ते से हिन्दी सर्च के ढेर सारे पाठक भेज रही है.

3 comments:

अनिल रघुराज said...

वाकई भोमियो जबरदस्त टूल है और हिंदी का शानदार सर्च इंजन भी।

Shastri JC Philip said...

पिछले दोतीन दिन से आप जो काम के लेख दे रहे हैं उन के लिये आभार. इधर उधर कुछ तकनीकी गलतियां हो रही है, जिन में से एक के बारे में बताना चाहता हूं.

आपके कथन से ऐसा लगता है कि भोमियो सिर्फ ट्रांसलिटरेट करता है. यह सही नहीं है. भोमियो कई बार पूरा का पूरा हिन्दी पन्ना अपने चिट्ठे पर (सर्वर पर) उतार कर अनुवाद करता है. मुझे इसलिये यह बात मालूम है क्योंकि वे सारथी के पन्नों का उपयोग बहुतायत से करते है, एवं मैं उसे बीच बीच में जांचता रहता हूं. वे जो कर रहे हैं उससे मैं बहुत खुश एवं संतुष्ट हूं.

आजकल यह नई चर्चा जो हो रही है एवं उसमें किसी चिट्ठे की जानकारी को खोज इंजन या अग्रीगेटर के सर्वर पर स्टोर करने का विरोध किया जा रहा है यह एक गलत विरोध है.

जो लोग जालगजत के आरंभ से जाल से जुडे है (जैसे कि मैं) इस बात को जानते हैं कि जानकारी किसी भी तरीके से बांटी जाय, फायदा मूल लेखक को जरूर होता है. अत: मैं तो चाहूंगा कि कम से कम सौ और अग्रीगेटर सारथी को पूरा का पूरा अपने सर्वर पर उतार ले. फायदा मुझे ही होगा -- शास्त्री जे सी फिलिप


हिन्दीजगत की उन्नति के लिये यह जरूरी है कि हम
हिन्दीभाषी लेखक एक दूसरे के प्रतियोगी बनने के
बदले एक दूसरे को प्रोत्साहित करने वाले पूरक बनें

नूर की बात, रौशनी की बात said...

शास्त्री जी; भोमियो, प्रोक्सी ट्रांस्लिट्रेट करता है. इसके लिये किसी भी डाटाबेस संग्रहण की जरूरत नहीं होती.
आपने कह दिया विरोध गलत है, क्यों? जो प्रश्न उठाये हैं उनके बारे में क्या कहना है?